Arshad

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किसने कहा हम डर गए थे?!

तो कहानी शुरू करने से पहले disclaimer दे दिया जाए,


Disclaimer:
यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है(ऐसा बोलूंगा तो लोग ध्यान से पढ़ेंगे😉), इसको पढ़ने के बाद अगर आपको अकेले रहने में डर लगने लगे तो लेखक की कोई ज़िम्मेदारी नहीं(क्योंकि मैं खुद लिखते हुए उसके होने का एहसास कर रहा हूं😰), अगर आप भूत-प्रेत में विश्वास नही करते और आपको डर नहीं लगता तो कोई बात नहीं,आप इसी वक्त जा सकते हैं (सख़्त लोग थोड़ी चाहिए हमें😂)।
ये कहानी आपको typical लग सकती है, क्योंकि हम सब का कोई न कोई दोस्त ऐसा जरूर होता है जो स्कूल के इतिहास के बारे में कुछ ज़्यादा ही जानता है,
और शायद ऐसी जानकारी देकर वो हमारी नजरों में हीरो भी बन जाते हैं, इसी का फ़ायदा उठा कर कुछ नटखट बालको की मंडली, दिल के कमज़ोर, नन्हे मुन्ने बच्चो को डरा कर अपना मनोरंजन करते है।
उनकी अफवाहों में: हमारा स्कूल ना, कब्रिस्तान पर बना हुआ है,
हमारा स्कूल के बनने से पहले ना, यहां श्मशान घाट हुआ करता था,
कुछ साल पहले ना, चौकीदार को किसी ने पीपल के पेड़ पर जिंदा मार कर लटका दिया था, उसके नीचे मत खेला करो, ( क्योंकि वो इन लड़कों का खुफिया अड्डा हुआ करता था) इत्यादि सम्मिलित होते थे।
आप शायद हमारे "ना" शब्द के प्रयोग से उत्तेजित😠 हो गए हो, तो हम आपको बता दें कि 'same accent' में वो लड़के हमें भी डराया करते थे, हम ज्यादा तो नहीं डरते थे💪, बस दो - तीन दिन तक स्कूल की छुट्टी कर लेते थे( किसने बोला हम डर गये थे?😑)
जब उनके हर टोन-टोटके ने काम करना बंद कर दिया, तो उन्होंने एक मीटिंग बुलाई, मीटिंग क्या ही बुलाई, recess के दौरान पीपल के पेड़ के नीचे नई तरकीब निकलने लगे।
पीपल के पेड़ के पीछे ही बॉयज टॉयलेट हुआ करता था, तो एक लड़के ने उसी में भूत पैदा कर दिया😂 उसके शब्द कुछ इस प्रकार थे: भाई, हमलोग बोलेंगे ना की टॉयलेट में एक मैडम को छिपकली ने काट लिया था और उसने एक बच्चे को भी खा लिया था, तो उन दोनों की आत्मा आज भी टॉयलेट में है और जैसे ही वो आती है, बिजली चली जाती है, सबने हामी भर दी, पर हम तो हमेशा से तेज़ 😎, उनलोगो की बाते हमने सुन ली और उनके फर्जी प्लान को सुनके बहुत हसी आई, पर जबतक उनका प्लान पूरा होता recess over हो गई, और हमें कक्षा का मॉनिटर होने के नाते सबसे पहले पहुंचना होता था, इसीलिए मन ही मन अपनी होशियारी और भविष्य में spy बनने का ख्याल लेकर कक्षा में आ गए,
चूंकि हमारे spy बनने की अभिलाषा इतनी बढ़ गई थी की हमने उन लडको को ही डराने के लिए कुछ इंतजाम करने की सोची क्योंकि उनका प्लान अगले दिन से एक्टिव होने वाला था तो अपनी मॉनिटर वाली पहुंच के जरिए उसी दिन absentee period में अकेले टॉयलेट जा पहुंचा ताकि अपना बोलबाला बढ़ा सकूं।
यही एक मात्र गलती हमने करदी, अकेले जाके।
बहरहाल, हमने टॉयलेट गेट खोलते ही चीख मार दी, 
मम्ममम्मी!😲.......

To be continued...

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1 Comments

Farhad ansari

21-Dec-2021 02:46 PM

Mazaa aa gya 😆

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